जिनका मंगल अशुभ है, उन्हें अवश्य करनी चाहिए मां ब्रह्मचारिणी की आराधना

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जिनका मंगल अशुभ है, उन्हें अवश्य करनी चाहिए मां ब्रह्मचारिणी की आराधना

 

– रविवार को है नवरात्रि का दूसरा दिन, होगी मां ब्रह्मचारिणी की आराधना
– देवी पंडालों में स्थापित हो गई हैं मां की दिव्य तेजमयी प्रतिमा, दर्शन को आने लगे भक्त

बस्ती। नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। मां की आराधना से ग्रह दोष शांत होते हैं। उन्हें विशेष रूप से मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिए, जिनकी कुंडली में मंगल दोष है या फिर मंगल ग्रह अशुभ स्थान पर हैं। जिले में माता के भक्त अपने-अपने घरों में भी रविवार को कलश स्थापित कर देवी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की तैयारियों में लगे हैं।
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। भारतीय पंचांग के अनुसार इस बार 18 अक्टूबर 2020 को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पड़ रही है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तप, शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि करती है और शत्रुओं का नाश भी होता है। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य रूप में होता है। देवी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए श्वेत वस्त्र में देवी विराजमान होती हैं। उनका यह रूप सभी दुख दारिद्र्य को हरने वाला होता है। शिव पुराण व शास्त्रों में कहा गया है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कई हजार वर्षों तक ब्रह्मचारी रहकर घोर तपस्या की थी। उनकी इस कठिन तपस्या के कारण उनका नाम तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी पड़ गया।

दूर होता है मंगल का अशुभ प्रभाव
मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कुंडली में विराजमान बुरे ग्रहों की दशा सुधरती है। यही नहीं इनकी पूजा से भगवान शिव भी प्रसन्न होकर भक्त को मनचाहा वरदान देते हैं। मंगल ग्रह की अशुभता को दूर होती है। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति रखती हैं। जिन लोगों की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ है उन्हें मां ब्रह्मचारणी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
मां को चीनी या मिश्री का भोग लगता है। दान में चीनी या मिश्री ही दी जाती है। पूजा विधि के लिए मां ब्रह्मचारिणी के चित्र या प्रतिमा के सामने पुष्प, दीपक, नैवेद्य आदि अर्पण कर स्वच्छ कपड़े पहन कर आसन पर विराजमान हो जाएं। मां ब्रह्मचारणी की पूजा में पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन का प्रयोग किया जाता है। पूजन आरंभ करने से पूर्व मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, शर्करा, घृत और शहद से स्नान कराएं। फिर मां को प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करनी चाहिए। इसके बाद ही स्थापित कलश, नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता और ग्राम देवता की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद इस मंत्र का 108 बार जाप करें…

दधानां करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डल।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।

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