महिलाओं के प्रति हिंसा/साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता’ विषय पर एक आनलाइन संगोष्ठी का हुआ आयोजन

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महिलाओं के प्रति हिंसा/साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता’ विषय पर एक आनलाइन संगोष्ठी का हुआ आयोजन

छावनी। इन्द्रासन सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजकीय महाविद्यालय, पचवस-बस्ती में उ.प्र. शासन द्वारा संचालित ‘मिशन शक्ति’ के नवें दिन 25 अक्टूबर, 2020 को विद्यार्थियों के लिए संस्कृत विभाग के संयोजन में ‘महिलाओं के प्रति हिंसा/साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता’ विषय पर एक आॅनलाइन संगोष्ठी आयोजन किया गया। इस अवसर पर विषय प्रवर्तन करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत-विभाग के असि. प्रोफेसर डाॅ. अवधेश प्रताप सिंह ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति जैसे कार्यक्रम चलाया जाना प्रसन्नता का विषय है। उन्होंने कहा कि आज तकनीक के युग में महिलाओं के प्रति अपराध के नये स्वरूप भी सामने आ रहे हैं। इण्टरनेट और सोशल मीडिया पर अपराधियों द्वारा महिलाओं के प्रति कई तरह के अपराध अंजाम दिये जा रहे हैं। ये अपराधी महिलाओं के फोटोग्राफ के साथ मार्फिंग, ई-मेल स्पूफिंग, फिशिंग, साइबर स्टाकिंग, अश्लील मैसेजिंग जैसे कृत्यों के माध्यम से महिलाओं को अपने जाल में फंसाकर उन्हें ब्लैकमेल करने का काम करते हैं। अतएव आवश्यकता है कि महिलाएँ तकनीकी रूप से सक्षम भी बनें एवं इन अपराधों की स्थिति में बिना भयभीत हुए विधिक प्रावधानों का प्रयोग करें। डाॅ. सिंह ने बताया कि आज हर जिले में ऐसे अपराधों से निबटने के लिए साइबर थानों की स्थापना की गयी है, जिसका लाभ महिलाओं को उठाना चाहिए। इस अवसर पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत-विभाग के प्रो. मुरलीमनोहर पाठक ने अपना आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि आज आवश्यक है कि ऐसे व्याख्यानों से प्राप्त ज्ञान को हम अपने जीवन में भी उतारें। यदि हम अपना आचरण शुद्ध कर लेंगे तो स्त्री-सुरक्षा के सभी संकल्प स्वयमेव सिद्ध हो जायेंगे। नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय, काठमाण्डू की सहप्राध्यापक सुश्री प्रियंवदा काफ्ले ने कहा कि हमारा समाज पितृसत्तात्मक समाज है जहाँ स्त्री सदैव किसी न किसी पुरुष के संरक्षण में ही रहती है, चाहे वह पिता हो, भाई हो, पति हो या पुत्र हो। आज स्त्री को अपनी मुक्ति के लिए स्वयं रास्ते तलाशने होंगे और इस सामंती पितृसत्तात्मक सोच से बाहर आना होगा। गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत-विभाग की सहायक आाचार्या डाॅ. लक्ष्मी मिश्रा ने श्लोकवाचन से अपने वक्तव्य का प्रारम्भ करते हुए कहा कि आज हमारा समाज रुढ़िवादी सोच से लिव-इन के पायदान तक आ गया है। इस आधुनिक समाज में भी यह आवश्यक है कि हर क्षेत्र में अपना परचम बुलन्द कर रही महिलाओं के सम्मान की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, सासाराम, बिहार के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. अमित मिश्र ने विस्तार से साइबर अपराध और उनसे सुरक्षा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जैसे जैसे हर हाथ में तकनीक पहुँची है, उसके दुरुपयोग की घटनाएँ भी बढ़ती जा रही हैं। इण्टरनेट पर अपराधों का आसान शिकार महिलाएँ और बच्चियाँ इसलिए भी हो जाती हैं क्योंकि वे आसानी से ऐसे तत्वों पर विश्वास कर लेती हैं। आज इन अपराधों से बचने के लिए जागरूकता के साथ साथ तकनीक के उपयोग को ठीक से जानने की भी आवश्यकता है। इण्टरनेट पर मौजूद विभिन्न एप्स का प्रयोग कर अवांछित तत्वों की पहचान करते हुए उनसे तुरन्त दूरी बनाने की आवश्यकता है। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि ऐसी कोई घटना घट जाने पर अवसाद या भयग्रस्त होने की बजाय दृढ़ता से उसका सामना किया जाय। आज सरकार की ओर से साइबर पुलिसिंग को अत्याधुनिक बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आईटी एक्ट को आज निरंतर मजबूत बनाया जा रहा है, जिसका सीधा फायदा महिलाओं और बच्चियों को हो रहा है। डाॅ. मिश्र ने कहा कि महिलाओं-बच्चियों को जागरूक बनाने के लिए निरंतर ऐसे कार्यक्रमों को आयोजित किये जाने की आवश्यकता है। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, गोरखपुर डाॅ. अश्विनी कुमार मिश्र ने कार्यक्रम में आये हुए विद्वानों के वक्तव्य की सराहना करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि आवश्यकता है कि महिलाएँ तकनीकी रूप से सक्ष्म बनें और साइबर अपराधों से स्वयं को सुरक्षित करें। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्राचार्य श्री आदित्य प्रताप सिंह ने आमंत्रित अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि आज महाविद्यालय परिवार गौरवान्वित है कि इतने विद्वान वक्ताओं द्वारा सभी को विषय के प्रति समृद्ध जानकारी प्राप्त हुई। उनके अनुसार तकनीक यदि समृद्ध करती है तो कई समस्याएँ भी उत्पन्न करती हैं, जागरूक होकर इनका निदान किया जा सकता है। कार्यक्रम में विषय-परिचय प्रस्तुत करने एवं संचालन का दायित्व गोष्ठी के संयोजक डाॅ. प्रमोद कुमार मिश्र ने निभाया। इस अवसर पर राजकीय महाविद्यालय, बाराबंकी के प्राचार्य डा. राणा इन्द्रजीत सिंह, डाॅ. नीलिमा सिन्हा सहित सहित महाविद्यालय के प्राध्यापकगण डाॅ. विद्यावती यादव, श्री अशोक कुमार गुप्त, डाॅ. संदीप कुमार, श्री हरेन्द्र विश्वकर्मा, डाॅ. विशाल श्रीवास्तव एवं डाॅ. विजय कुमार सहित कर्मचारीगण उपस्थित रहे। गोष्ठी में कंचन, कीर्ति, सुभाष, शिवानी, नन्दिनी, कार्तिकेय, नफीस अहमद पूर्णिमा शुक्ला, कंचन, अंकिता, कीर्ति, रूपम, वंशिका, अंकिता, सरिता, श्वेता, निशा, सुखपाल, विशाल, सुनील, सोनू, सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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