महिला सम्मान सुनिश्चयन एवं सशक्तीकरण’ विषय पर एक आनलाइन संगोष्ठी का हुआ आयोजन
बस्ती। इन्द्रासन सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजकीय महाविद्यालय पचवस में ‘मिशन शक्ति’ के आठवें दिन शनिवार को विद्यार्थियों के लिए समाजशास्त्र विभाग के संयोजन में ‘महिला सम्मान सुनिश्चयन एवं सशक्तीकरण’ विषय पर एक आॅनलाइन संगोष्ठी आयोजन किया गया। इस अवसर पर अपना वक्तव्य देते हुए राजकीय महाविद्यालय, सांगीपुर जिला प्रतापगढ़ के प्राचार्य एवं प्रसिद्ध इतिहासविद् प्रो. चन्द्रप्रकाश ने कहा कि गौतम बुद्ध के समय प्रचलित कथा के माध्यम से बताते हुए कहा कि वही समाज चिरजीवी होता है जहाँ स्त्रियों के प्रति अत्याचार नहीं होता है। गौतम बुद्ध ने अपने तमाम उपदेशों में महिलाओं के प्रति समान व्यवहार करने और उनकी रक्षा का संदेश दिया। उन्होंने भारतीय इतिहास में गणराज्यों की संस्कृति का व्यापक परिचय कराते हुए कहा कि हमारे समाज में महिलाओं के प्रति कुप्रथाओं की जड़ में व्यभिचार ही रहा है। बदलते हुए समाज के साथ हमें प्राचीन संस्कृति से प्रेरणा लेते हुए एक ऐसे समाज के निर्माण का संकल्प लेना चाहिए जिसमें महिलाओं का सम्मान सुनिश्चित हो सके। डाॅ. चन्द्रप्रकाश ने कहा कि शारदीय नवरात्र में मिशन शक्ति चलाया जा रहा है, इस समय में हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आज हमारे परिवारों में लैंगिक संतुलन की क्या स्थिति है। हमें समाज में लैंगिक बराबरी के लिए सभी सम्भव कार्यों को पूरे संकल्प के साथ सम्भव बनाना चाहिए तभी हमारा देश महिलाओं के लिए सुरक्षित और सम्मानपूर्ण हो सकेगा। इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता के रूप में अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए महिला सम्बन्धी विषयों की विशेषज्ञ डाॅ. सुमन, एसोशिएट प्रोफेसर: समाजशास्त्र विभाग, आरजीपीजी काॅलेज, मेरठ ने कहा समाज के जागरूक लोगों को महिलाओं के सम्मान सुनिश्चयन के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक उम्र के बाद भारतीय परिवार में महिलाओं को प्रभावी स्थिति तो मिलती है, लेकिन फिर भी स्थिति में बहुत परिवर्तन नहीं आता। डाॅ. सुमन के अनुसार भारतीय समाज में महिलाओं और बच्चियों को तमाम पाबंदियों के लिए आगाह तो किया जाता है लेकिन उनकी सुरक्षा के मूलभूत प्रश्नों की ओर हमारा ध्यान तभी जाता है जब कोई बड़ी घटना हो जाती है। आज आवश्यकता है कि महिला सुरक्षा के प्रति हम निरंतर प्रयासरत और जागरूक रहेें। उनके अनुसार समाज में महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित किये जाने की ज़रूरत है। डाॅ. सुमन के अनुसार मिशन शक्ति के साथ ज़मीनी स्तर पर निरंतर चलने वाले एक्शन प्लान की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज को इतिहास की प्रभावशाली स्त्रियों जैसे सावित्रीबाई फुले को प्रतीक के रूप में देखना चाहिए और प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, गोरखपुर डाॅ. अश्विनी कुमार मिश्र ने कार्यक्रम में आये हुए विद्वानों के वक्तव्य की सराहना करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि आवश्यकता है कि वे महिलाएँ जो समाज में सशक्त होकर आगे बढ़ रही हैं, वे निम्न वर्ग की अशक्त महिलाओं की सहायता के लिए आगे आयें। उन्होंने कहा कि हमें स्थिति के साथ-साथ सोच को सकारात्मक रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। डाॅ. मिश्र ने कहा कि जब तक हम अपनी विकृतियों में आनन्द ढूँढते रहेंगे, समाज में इस प्रकार की विषम परिस्थितियाँ आती रहेंगी। आज़ बहुत सारी पुरानी परम्पराओं को त्यागकर नये समय में स्त्री सुरक्षा के प्रश्नों पर विचार करते हुए प्रयास करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्राचार्य श्री आदित्य प्रताप सिंह ने आमंत्रित अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि आज महाविद्यालय परिवार गौरवान्वित है कि इतने विद्वान वक्ताओं द्वारा सभी को विषय के प्रति समृद्ध जानकारी प्राप्त हुई। उनके अनुसार आज परिवार में माँ के रूप में स्त्री की भूमिका भी इस मिशन के प्रसार में अत्यंत महत्वपूर्ण हो गयी है। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि स्त्री और पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर मिशन शक्ति के प्रति जागरूकता के संवर्धन में योगदान दें। इस संगोष्ठी में विषय परिचय और संचालन का कार्य संयोजक की भूमिका निभा रहे डाॅ. संदीप कुमार ने किया। इस अवसर पर अन्य महाविद्यालयों से डा. राजेन्द्र बौद्ध, डाॅ. अनुराधा, डाॅ. जगदीश प्रसाद सहित महाविद्यालय के प्राध्यापकगण डाॅ. विद्यावती यादव, श्री अशोक कुमार गुप्त, श्री हरेन्द्र विश्वकर्मा, डाॅ. प्रमोद कुमार मिश्र, डाॅ. विशाल श्रीवास्तव एवं डाॅ. विजय कुमार सहित कर्मचारीगण उपस्थित रहे। गोष्ठी में कंचन, कीर्ति, सुभाष, शिवानी, नन्दिनी, कार्तिकेय, नफीस अहमद पूर्णिमा शुक्ला, कंचन, अंकिता, कीर्ति, रूपम, वंशिका, अंकिता, सरिता, श्वेता, निशा, सुखपाल, विशाल, सुनील, सोनू, सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।
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