राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनेगा सरदार पटेल का जन्मदिन, जानिए क्या है महत्व और कब हुई शुरुआत
बस्ती। लौह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस 31 अक्टूबर राष्ट्रीय अखण्डता दिवस के रूप में मनाया जायेगा। यह जानकारी सीडीओ सरनीत कौर ब्रोका ने दी है। उन्होंने बताया कि इस दिन प्रातः आठ बजे छात्रों द्वारा प्रभात फेरी तथा रैली का आयोजन किया जाएगा।
सुबह नौ बजे से सभी विद्यालयों में स्लोगन, लेखन तथा उसका संकलन किया जाएगा। दोपहर बारह बजे जिला चिकित्सालय में मरीजों को फल तथा वृद्ध एवं कुष्ठ आश्रम में भोजन का वितरण किया जाएगा। दो बजे से राजकीय इण्टर कालेज में सरदार बल्लभ भाई पटेल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन होगा। श्रम विभाग द्वारा सरदार बल्लभ भाई पटेल के जीवन पर विचार गोष्ठी एंव सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसी प्रकार जनपद के अन्य क्षेत्रों में भी कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। सीडीओ ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय एकता एवं सामाजिक समरसता एंव सद्भाव को बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करें।
हमेशा प्रासंगिक रहेंगे सरदार वल्लभभाई पटेल, देश को एकता के सूत्र में पिरोया
देश में 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन की शुरूआत सन् 2014 में पहली बार की गई थी। हमारा देश विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक है जो दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। यहां 1600 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं और हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, इस्लाम और पारसी आदि विभिन्न धर्म एवं संस्कृतियों, परम्पराओं, पोशाकों, रहन-सहन, खान-पान और सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ हमारा देश विश्व का सबसे विविधतापूर्ण राष्ट्र है।
एकता अखंडता होती है मजबूत आधार
किसी भी देश का आधार तभी मजबूत होता है जब उसकी एकता एवं अखंडता बनी रहती है। भारत वर्ष कई वर्षों तक गुलाम रहा इसका सबसे बड़ा कारण था कि हमारे बीच एकता की भावना नहीं थी और उसी का फायदा उठा कर दूसरे देश हमारे देश पर राज करते थे। देश का विकास, शांति, समृद्धि तभी सम्भव है जब देश में लोगों के बीच एकता होगी। राष्ट्रीय एकता दिवस लोगों को एकता का पाठ सिखाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल को एकता की मिसाल भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने हमेशा देश को एकजुट करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
सरदार वल्लभभाई पटेल का परिचय
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। वह अपने पिता झवेरभाई पटेल एवं माता लाड़बाई की चौथी संतान थे। उनका शुरूआती जीवन काफी कठिन था। वह एक किसान परिवार से थे और खेतों में पिता का हाथ बंटाते थे। इसी वजह से 22 साल की उम्र में वह 10वीं की परीक्षा पास कर पाए। कॉलेज की पढ़ाई भी उन्हें घर पर ही करनी पड़ी और अधिकांश ज्ञान स्वाध्याय से ही अर्जित किया। वह जिला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए जिससे उन्हें वकालत करने की अनुमति मिली। 1909 में जब उनकी पत्नी का निधन हुआ उस दौरान वह कोर्ट में बहस कर रहे थे। इसी समय किसी ने कागज के टुकड़े पर लिखकर उन्हें यह दुखद खबर दी। उन्होंने इसे पढ़कर जेब में रख लिया। कार्रवाई खत्म होने के बाद इस बारे में उन्होंने सबको बताया और रवाना हुए। 36 साल की उम्र में वह वकालत पढ़ने इंग्लैंड गए थे और उन्होंने 36 महीने का कोर्स केवल 30 महीने में पूरा कर लिया था।
जब अकेले रहे पटेल
जब 1930 के दशक में गुजरात में प्लेग फैला तो पटेल लोगों की सलाह को दरकिनार करते हुए अपने पीड़ित मित्र की देखभाल के लिए पहुंच गए। परिणामस्वरूप उन्हें भी इस बीमारी ने जकड़ लिया। जब तक वह ठीक नहीं हो गए वह एक पुराने मंदिर में अकेले रहे।
स्वतंत्रता आंदोलन में लिया हिस्सा
गांधी जी के साथ देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। देश आजाद हुआ तो वह कई छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था जिनको एक साथ लाने का श्रेय सरदार पटेल को ही दिया जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजादी के ठीक पूर्व कई राज्यों को भारत में मिलाने के लिए कार्य करना शुरू कर दिया था इसलिए उन्हें भारत के राजनीतिक एकीकरण के पिता के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें महात्मा गांधी से बड़ा लगाव था। गांधी जी की हत्या की खबर सुनकर उन्हें सदमा लगा और वह बीमार रहने लगे। इसके बाद हार्ट अटैक से 15 दिसम्बर, 1950 को उनका निधन हो गया। उन्हें मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया।
सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
वर्ष 2019 में केन्द्र सरकार ने भारत की एकता और अखंडता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर एक नागरिक सम्मान प्रदान करने की घोषणा की है। पुरस्कार की घोषणा राष्ट्रीय एकता दिवस यानी सरदार पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को ही की जाएगी।
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