विचारों के शक्ति पंुज हैं पं. दीनदयाल उपाध्याय- आशीष श्रीवास्तव
बस्ती । दीन दयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान द्वारा एकात्म मानववाद, अन्त्योदय के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय को उनके 104 वीं जयन्ती पर अध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव के संयोजन में याद किया गया।
नगर बाजार में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय युग पुरुष हैं। उनकी देह हमारे बीच भले न हो लेकिन उनकी अक्षर देह और चेतना भारत भूमि से अलग हो ही नहीं सकती। दीनदयाल उपाध्याय केवल एक व्यक्ति या विद्वान या नेता या महापुरुष ही नहीं हैं, वह वास्तव में एक ऐसी शक्ति पुंज हैं जिनमें भारत भाग्य विधाता की प्रतिमा अवस्थित प्रतीत होती है। भारत में वैसे तो अनेक महापुरुष पैदा हुए हैं जिनको भारत की आत्मचेतना से जुड़ कर देखा और मूल्यांकित किया जाता है पर दीनदयाल उपाध्याय उन सभी में थोड़े विलक्षण दिखते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दीनदयाल जी ने न तो खुद को संन्यासी बनाया और ना ही सत्ता के लिए आग्रह पाला। फिर भी वह राजधर्म और राष्ट्र धर्म को अक्षर अक्षर परिभाषित करते रहे। यकीनन दीनदयाल उपाध्याय साक्षात् राष्ट्र पुरुष हैं। कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय के पद चिन्हों पर चलकर ही अंतिम व्यक्ति का उत्थान संभव है।
दीन दयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष विनोद कुमार शुक्ल ने कहा कि केन्द्र और भाजपा की सरकार पं. दीनदयाल के सपनों को साकार कर रही है। कार्यक्रम में अनिल कुमार श्रीवास्तव, सुनील कुमार, परशुराम, मनीष दूबे, सुन्दर, राहुल आदि ने पं. दीनदयाल के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन् किया।
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