रावण ने तप्सया कर ब्रम्हा से पाया बरदान शुरू कर दिया अत्याचार
कलवारी, बस्ती। शिव मंदिर खखोड़ा में चल रहे रामलीला में सोमवार की रात कलाकारों ने रावण अत्याचार व श्रीराम जन्म की लीला का मंचन किया। कलाकारों ने दिखाया कि रावण अपनी मां के सलाह पर भइयों कुम्भकरण, विभीषण के साथ ब्रम्हा जी का घोर तपस्या करने लगा। ब्रम्हा जी जब बरदान देने पंहुचे तो देवता उन्हे रोकने लगे इस पर उन्होने कहा कि यह प्रकृति का नियम है जो भी कर्म करेगा उसे फल अवश्य प्राप्त होगा।
बरदान मिलने के बाद रावण तीनो लोको में अत्याचार शुरू कर दिया। उसके अत्याचार से भयभीत ब्रम्हण, गाय, देवता सभी ब्रम्हाजी के पास पंहुच गये। ब्रम्हा सहित सभी लोग नारायण को मदद के लिए पुकारने लगे। तभी आकाश वाणी हुई कि श्री हरि विष्णु अपने अंशो समेत अयोध्या नरेश राजा दशरथ के यहां पुत्र के रूप में जन्म लेकर रावण के अत्याचारो से मुक्ति दिलायेंगे। ब्रम्हा जी के निर्देश सभी देवता नारायण के सहयोग के लिए पृथ्वी पर बंदर, भालू के रूप में जन्म लिया।
अयोध्या नरेश राजा दशरथ के संतान न होने पर गुरू वशिष्ठ के पास पंहुचे उनके सलाह पर श्रृंगी ऋषि ने पुत्रयेष्ठि यज्ञ कराया। उसके बाद राजा दशरथ के तीनो रानियों कौशिल्या ने एक पुत्र, कैकेयी एक तथा सुमित्रा ने तो पुत्रो को जन्म दिया। गुरू वशिष्ठ ने कौशिल्या पुत्र का नाम राम, कैकेयी के पुत्र भरत जबकि सुमित्रा के पुत्रों लक्ष्मण व शत्रुघ्न नाम रखा। रामलीला में राम जन्म होने पर पूरा पंडार जय श्रीराम के जयकारो से गूंज उठा।