Basti Lok Sabha Election 2024: बस्ती लोकसभा चुनाव में क्या कह रहे जातीय समीकरण, कौन बैठेगा फिट

Basti News: अप्रैल माह में बढ़ते तापमान के साथ ही लोकसभा चुनाव को लेकर भी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इसी बीच बस्ती जिले में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे दयाशंकर मिश्र को बहुजन समाज पार्टी ने बस्ती सीट से प्रत्याशी बनाने का ऐलान कर दिया जिसके बाद से जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म है और लोकसभा चुनाव व प्रत्याशियों को लेकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है।
बता दें बस्ती जिले में अभी तक समाजवादी पार्टी कांग्रेस अलायंस द्वारा राम प्रसाद चौधरी, भारतीय जनता पार्टी से हरीश द्विवेदी के नाम का ऐलान तो हुआ ही था इसी बीच तीसरे प्रत्याशी के तौर पर बहुजन समाज पार्टी से दयाशंकर मिश्र की एंट्री ने चुनावी रंग में नया रूप डाल दिया है। राजनैतिक जानकारों की माने तो बसपा के इस कदम से बीजेपी और सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी को सीधे तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। फिलहाल बस्ती जिले में 25 मई को मतदान है और 4 जून को मतगणना होनी है।
जातीय समीकरण में कौन बैठेगा फिट?
बस्ती लोकसभा सीट पर अगर जातीय समीकरण को देखें तो एक आंकड़े के अनुसार बस्ती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 5.98 लाख सवर्ण, 6.20 लाख ओबीसी, 4.30 लाख अनुसूचित जाति और 1.83 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। साल 2022 में विधान सभा चुनाव के दौरन भी बस्ती जिले में जातीय समीकरण साफ देखने को मिला था। बस्ती की पांच विधानसभाओं में से सिर्फ 1 पर ही बीजेपी जीत दर्ज कर पाई थी। विधान सभा बस्ती सदर, कप्तानगंज, रुधौली से समाजवादी पार्टी, महादेवा से सुभासपा व हर्रैया विधान सभा से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।
2009 में आखिरी बार बसपा से अरविंद चौधरी चुने गए सांसद
बस्ती लोकसभा सीट पर आखिरी बार साल 2009 में बसपा प्रत्यासी रहे अरविंद चौधरी सांसद चुने गए थे। उसके बाद अभी तक इस सीट पर बसपा का खाता नहीं खुला है। बस्ती लोकसभा सीट पर साल 1952 से चुनाव हो रहा है। बस्ती के प्रथम सांसद उदय शंकर दूबे थे। हालांकि साल 2019 के चुनाव में रामप्रसाद चौधरी ने हरीश द्विवेदी का मुकाबला किया फिलहाल नंबर 2 पर रहे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का अलायंस था और सियासी समीकरण भी अलग थे। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि इस बार चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा।
क्या कहते हैं सियासी जानकर
हालांकि जातीय समीकरण के आधार पर अगर सियासी जानकारों की माने तो बहुजन समाजपार्टी के इस चाल का सपा को फायदा हो सकता है। दावा किया जा रहा है कि जब दो ब्राह्मण मैदान में उतरेंगे तब फायदा तीसरे को सीधे तौर पर हो सकता है। फिलहाल बहुजन समाज पार्टी से दयाशंकर मिश्र को बस्ती लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाये जाने के बाद एक बार पुनः चर्चाएं तेज हो गई हैं। राजनीतिक जानकर अपने अपने हिसाब से कयास लगाने के जुटे हुए हैं।