कभी आर्थिक तंगी से जूझते हुए इस शिक्षामित्र ने की मजदूरी, बेटे का कराया एमबीबीएस में दाखिला

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कभी आर्थिक तंगी से जूझते हुए इस शिक्षामित्र ने की मजदूरी, बेटे का कराया एमबीबीएस में दाखिला

बस्ती, यूपी। हौसले बुलंद हो तो असंभव को संभव बना देता है पिता का परिश्रम ऐसा ही कुछ करके दिखाएं शिक्षामित्र बलराम ने जो 10 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय से बड़े बेटे को भारत पेट्रोलियम एवं छोटे बेटे को एमबीबीएस में दाखिल कराकर समाज को आइना दिखाया हैं कि परिश्रम करके सब कुछ हासिल किया जा सकता है। बच्चों की पढ़ाई में पैसा बाधा ना बने इसके लिए बलराम ने कमरतोड़ मेहनत किया। 6 घंटे विद्यालय में बच्चों को पढ़ाना, इसके बाद राजगीर मिस्त्री तथा रात में सिरका, आचार बनाना तथा पत्नी शांती देवी भी पीछे नहीं रही। उन्होने मवेशी व गाय को पालकर दूध बेचना, पैसे से बच्चों की पढ़ाई के लिए फीस जमा करना, दिन भर चारे की व्यवस्था करना शामिल रहा। दोनों बेटो को सफलता मिलने के बाद परिवार में काफी खुशी है। यह परिवार समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है।

प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने के लिए 2001 में सरकार ने शिक्षामित्र योजना की शुरुआत की थी जिसमें 2250 रुपये मानेदय दिया जाता था। जिसमें ग्राम पंचायत के टॉपरों का चयन होता था। नटवाजोत निवासी बलराम का शिक्षामित्र के पद 2006 में दुबौलिया विकास क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय उमरिया में हुआ। बलराम को लगा शायद अब दिन बदल जायेगे। सरकार ने मंहगाई को देखते हुए मानदेय में बढ़ोत्तरी कर 2400₹ कर दिया। इसके बाद तीन हजार, फिर 3500 हुआ। सपा की सरकार में शिक्षामित्र बलराम सहायक अध्यापक बन गये। तो लगा कि अब बच्चों की पढाई हो सकेगी और सपना साकार हो जायेगा, लेकिन 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन निरस्त कर दिया। योगी सरकार ने 10 हजाह मानदेय पर शिक्षामित्रों को वापस मूल विद्यालय कर दिया। तब तक बच्चे बड़े हो गये। बच्चों के पढ़ाई का खर्चा सताने लगा। मानदेय में कोई बढ़ोत्तरी ना होने से आर्थिक समस्या खड़ी होने लगी। इससे उबरने के लिए शिक्षामित्र बलराम ने पार्ट समय में रोजगार की ओर कदम बढ़ाना शुरु कर दिया। 

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शिक्षामित्र बलराम ने विद्यालय बन्द होने के बाद राजगीर मिस्त्री के कार्य के साथ आचार, मुरबा बनाने का कार्य शुरु किया। पत्नी शांती देवी ने पशुपालन शुरु कर बच्चों को पढ़ाने का कार्य शुरु किया। दोनों लोगों रात दिन परिश्रम किया। बच्चों ने माता पिता के मेहनत को देखते हुए बच्चे भी पढ़ाई करने में कड़ी मेहनत करने में जुट गए। बड़े बेटे राम करन का चयन भारत पेट्रोलियम देहरादून में चयन होने के बाद छोटा बेटा भी परिश्रम करके एमबीबीएस में सफलता हासिल कर चार चांद लगा दिया। छोटे बेटे बुद्धिसागर को एमबीबीएस में दाखिला जोधपुर राजस्थान मेडिकल कॉलेज में नामांकन हुआ। बेटी लक्ष्मी भी पीछे नहीं रही उसने भी भटपुरवा इंटर कॉलेज को टॉप कर अपना रोशन किया। 

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शिक्षामित्र का बेटा बना एमबीबीएस

बस्ती जिले के दुबौलिया विकासखंड के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय उमरिया में तैनात शिक्षामित्र बलराम का बेटा एमबीबीएस बनकर अपने नाम को रोशन कर लोगों को आइना दिखाते हुए साबित कर दिया है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। नटवाजोत गांव निवासी शिक्षामित्र बलराम का छोटा बेटा बुद्धिसागर की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय उमरिया में हुई। हाईस्कूल एस एस बी इंटर कॉलेज फैजाबाद अयोध्या तथा इंटर की पढ़ाई राम दास उदय प्रताप औद्योगिक इंटर कॉलेज भटपुरवा से हुई। स्नातक की पढ़ाई के सीयूटी की परीक्षा पास कर बीएचयू बनारस में एडमिशन लिया डेढ़ वर्ष पढ़ाई करने के दौरान पहले ही प्रयास में नीट की परीक्षा को उत्तीर्ण कर दिया।

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शिक्षामित्र बलराम के बेटे बुद्धिसागर का एमबीबीएस में एडमिशन जोधपुर राजस्थान में होने के परिवार में काफी खुशी है। बुद्धि सागर ने कहा कि परिश्रम करने वालों को कोई बाधा रोक नहीं सकती है। पढ़ाई में सिर्फ लगन के परिश्रम करने की जरुरत है। इस सफलता का श्रेय उन्होने अपने माता-पिता को दिया। जो रात दिन मेहनत कर मुझे इस मुकाम पर पहुंचाया। बुद्धिसागर की सफलता इलाके के बच्चों के लिए नजीर बन गई। जहां सीमित संसाधन व बिना कोचिंग के नीट परीक्षा को उत्तीर्ण किया। 

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शिक्षामित्र के बेटे को भारत पेट्रोलियम में हुआ चयन

दुबौलिया ब्लॉक के ग्राम पंचायत नटवोजोत के शिक्षामित्र के बेटे राम करन को भारत पेट्रोलियम देहरादून में सफलता मिली है। राम करन ने हाईस्कूल बद्री प्रसाद मौर्य इंटर कॉलेज चिलमा बाजार एवं इंटर मीडिएट एस एस बी इंटर कॉलेज फैजाबाद आयोध्या से करने के बाद आईआईटी में चयन हो गया। राम करन ने बीटेक कानपुर से किया। गेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद चयन भारत पेट्रोलियम देहरादून में हो गया। राम करन ने कहा परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। पिता ने रात दिन मेहनत कर हम लोगों को पढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हम दोनों भाइयों को सफलता मिलने पर हम लोगों से ज्यादा खुशी माता पिता को हो रही है। 

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सघर्ष करके सब कुछ हासिल किया जा सकता है: बलराम

प्राथमिक विद्यालय उमरिया पर तैनात शिक्षामित्र बलराम ने कहा कि नौकर जाने के बाद हम लोग हताशा व निराशा होने लगी। लग रहा था कि बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पायेगी लेकिन हौसले को बुलंद रखा और मेहनत करने में जुट गया। पत्नी शांती देवी भी साथ साथ मेहनत करने में जुट गई धीरे धीरे व्यवस्था को बनाकर मवेशी व गाय पालन का कार्य शुरू किया। दूध से पत्नी घर का खर्चा चलाने लगी और मानदेय के पैसों से बच्चों का फीस भरा जाने लगा। इसके बाद में हम विद्यालय बन्द होने के बाद राजगीर मिस्त्री का कार्य करने लगे। अवकाश में पूरा दिन कार्य करने लगे। सिरका, आचार भी बनाते है। जिसके चलते बच्चों का सपना साकार हो सका। फीस का पैसा कम पड़ने पर विद्यालय के शिक्षकों ने मदद किया। बेटे की इस सफलता में शिक्षकों का भी बड़ा योगदान है। उन्होने कहा परिश्रम करने वालो की कभी हार नहीं होती है। मेरे दोनों बेटो ने सफलता हासिल कर हम लोगों का नाम रोशन किया है। अभी बलराम के बेटो की शादी नहीं हुई है।

शिक्षामित्र बलराम को आचार मुरब्बा में मिल चुका है सम्मान

नटवाजोत गांव निवासी शिक्षामित्र बलराम को आचार, मुरब्बा, सिरका के लिए कई बार सम्मान मिल चुका हैं। स्वयं सहायता समूह के माध्यम में ब्लॉक, जिला, मंडल तथा प्रदेश में कई बार सम्मानित हो चुके है। इनके हाथों में जादू है। इनके द्वारा बनाया गया आचार, सिरका, मुरब्बा का कोई जोड़ नहीं है।

शिक्षामित्रों के लिए मिशाल बने बलराम

आर्थिक तंगी जूझ रहे शिक्षामित्रों के लिए दुबौलिया ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय उमरिया में तैनात शिक्षामित्र बलराम मिशाल बने है। इससे शिक्षामित्रों को प्रेरणा मिल सकेगी। बलराम ने शिक्षामित्र के पद पर कार्य करने के बाद राजगीर मिस्त्री, आचार मुरब्बा, सिरका, खेती, पशुपालन कर दो बेटे को सफलता दिलाकर शिक्षामित्रों के लिए मिशाल बन गए है। आर्थिक तंगी से निकलने के लिए मेहनत करना बहुत जरुरी है। मेहनत से बच्चों को पढ़ाया जाय यदि बच्चे सफल हो गए तो सब कुछ भूल जाता है।

बलराम के बेटे की सफलता पर संघ पदाधिकारियों ने दी बधाई

दुबौलिया ब्लॉक प्राथमिक विद्यालय पर तैनात शिक्षामित्र के बेटे बुद्विसागर एमबीबीएस व राम करन को भारत पेटोलियम में चयन होने पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष रमेश चन्द्र मिश्र, जिलाध्यक्ष बीरेन्द्र शुक्ल, संरक्षक संजय यादव, मण्डल अध्यक्ष एवं शिक्षक नेता प्रवीन श्रीवास्तव, पूर्व जिलाध्यक्ष मुक्तेवर लाल यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष सुभाष चौधरी, शिव कुमार चौधरी ब्लॉक अध्यक्ष दुबौलिया, नवल किशोर वर्मा, संतोष भट्ट शिक्षामित्र नेता, चन्द्रेश तिवारी, राजेश, लालमोहन, फौजदार, अवधेश सिंह, राज कुमार यादव, प्रदीप पाण्डेय, संजय अग्रवाल, महेन्द्र शर्मा ने बधाई देते हुए बलराम ने संघर्ष कर बच्चों को सफलताएं कर नाम को रोशन किया।

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