UP First Glass Skywalk Bridge || यूपी में अब बना 'कांच का पुल' || 'धनुष बाण' जैसा दिख रहा 'सीसे का पुल'
UP First Glass Skywalk Bridge || तमाम पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व को समेटे उत्तर प्रदेश विश्वविख्यात है। किंतु आज हम जिस अजूबे की बात करने जा रहे हैं वह दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में ही है। जिसके बन जाने से अब उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ा है। दरअसल हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के पहले शीशे से बने पुल की जो कि चित्रकूट में स्थित है। अब आने वाले समय में पौराणिक स्थल चित्रकूट में पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालु और पर्यटक सीसे के पुल का आनंद उठाएंगे। इस पुल से वाटर फाल और जंगल के खूबसूरत वादियों के नजारे अब देखे जा सकेंगे।
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में बना यह अनोखा शीशे का पुल जिसकी डिजाइन भगवान श्री राम के धनुष और बाण की तरह है। यह पुल चित्रकूट में तुलसी (शबरी) जलप्रपात के ऊपर बनाया गया है। इस पुल की लंबाई 25 मीटर है और चौड़ाई 35 मीटर है। जिसकी प्रति वर्ग मीटर भार क्षमता 500 किलोग्राम है। इस पुल को बनाने में लगभग 3.70 करोड़ रुपये का खर्चा आया है और इसका निर्माण वन एवं पर्यटक विभाग ने किया है। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद इस पुल को आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा और यह एक इको टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
चित्रकूट में इस शीशे के पुल की डिजाइन अनोखी
चित्रकूट में बने इस शीशे के पुल का डिजाइन बहुत ही अनोखा और आकर्षक है। इसकी डिजाइन धनुष और बाण के आकार की है, जो कि भगवान राम के हथियार से प्रेरित है। इस पुल की बनावट में आधुनिक और पारंपरिक तत्वों का संगम है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। इस पुल के माध्यम से तुलसी जलप्रपात के ऊपर से चलते हुए पर्यटकों को न केवल जलप्रपात का अद्भुत दृश्य मिलता है, बल्कि उन्हें एक अनूठा अनुभव भी प्राप्त होता है। इस पुल का निर्माण इस तरह से किया गया है कि यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसे इको टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में बने शीशे के पुल की विशेषताएं
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डिजाइन: पुल का डिजाइन धनुष-बाण की तरह है, जो भगवान राम के धनुष और बाण से प्रेरित है।
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स्थान: यह चित्रकूट के तुलसी (शबरी) जलप्रपात पर स्थित है।
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आयाम: खाई की ओर बाण की लंबाई 25 मीटर है और दोनों पिलर के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर है।
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भार क्षमता: पुल की भार क्षमता प्रति वर्ग मीटर में 500 किलोग्राम है।
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लागत: इस ग्लास ब्रिज की कुल लागत 3.7 करोड़ रुपये है।
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निर्माण: पुल का निर्माण बिहार के राजगीर में बने स्काई वॉक ग्लास ब्रिज की तर्ज पर किया गया है।
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पर्यटन: यह ब्रिज आने वाले समय में एक खूबसूरत ईको टूरिज्म केंद्र बनेगा, जहां पर रॉक और हर्बल गार्डन के साथ रेस्टोरेंट भी बनाए जा रहे हैं।
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अनुभव: पर्यटक इस पुल पर चलते हुए खुद को हवा में तैरते हुए महसूस करेंगे और जलप्रपात की सुंदरता को निहार सकेंगे।
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उद्घाटन: यह पुल लोकसभा चुनाव 2024 के बाद आम लोगों के लिए खोला जाएगा।
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विशेषताएं: इस पुल से जलप्रपात की तीन धाराएं चट्टानों से गिरती हुई दिखाई देती हैं।
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विकास: इसे एक खूबसूरत इको टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां राक और हर्बल गार्डन के साथ रेस्टोरेंट भी बनाए जा रहे हैं।
यह पुल न केवल एक पर्यटन स्थल के रूप में बल्कि प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए एक अनूठी जगह के रूप में उभर रहा है। इस पुल के ऊपर से चलते हुए आप जलप्रपात की ऊंचाई से गिरते पानी का नजारा देख सकेंगे और आसपास के जंगल की सुंदरता का भी आनंद ले सकेंगे।