Bhadeshwar Nath Mandir Basti Up || भदेश्वर नाथ मंदिर से जुड़ा कुछ आध्यात्मिक इतिहास, क्या आप भी जानते हैं?

Bhadeshwar Nath Mandir Basti Up || भदेश्वर नाथ मंदिर से जुड़ा कुछ आध्यात्मिक इतिहास, क्या आप भी जानते हैं?
Bhadeshwar Nath Mandir Basti Up || उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के स्थित बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास बहुत ही रोचक और पौराणिक महत्व भरा है। इस मंदिर की स्थापना के पीछे पौराणिक मान्यता के अनुसार कई कथाएँ हैं। माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना रावण ने की थी और इसका वर्णन शिव पुराण के 18वें अध्याय के दूसरे दोहे में भी मिलता है। इस शिवलिंग को झारखंडेश्वर बाबा के नाम से भी जाना जाता है और यह शिवधनुषाकार नदी के बीच में स्थित है। इसकी उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि यह शिवलिंग द्वापर युग में लगभग 7000 वर्ष पूर्व स्वतः प्रगट हुआ था।
 
इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता यह है कि इस शिवलिंग का आकार आज भी बढ़ रहा है और कोई भी भक्त इसे अपने दोनों बांहों में नहीं ले सकता है2। इसके अलावा, इस मंदिर का निर्माण 1928 में हुआ था और यहाँ कई पौराणिक कथाओं को समेटे हुए है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि इसका इतिहास और पौराणिक महत्व भी इसे एक अनोखा स्थान बनाते हैं।
 

बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर से जुड़ी कुछ अन्य पौराणिक कथाएं इस प्रकार हैं:

 
रावण द्वारा स्थापित शिवलिंग
मान्यता है कि रावण ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। लोगों का विश्वास है कि जब भी कोई भक्त इस शिवलिंग को अपनी बांहों में लेने का प्रयास करता है, तो शिवलिंग का आकार अपने आप ही बड़ा हो जाता है।
 
दिव्य ज्योति का प्रकट होना
एक कथा के अनुसार, भदेश्वर नाथ गांव के घने जंगल में एक दिव्य ज्योति प्रकट हुई थी, जिसे देखने के लिए लोग उत्सुकता से वहां पहुंचे और खुदाई करने लगे। खुदाई के दौरान जहरीले जीव निकलने लगे, जिससे डरकर लोग भाग गए और नाले के पास जाकर मर गए।
 
मंदिर का जीर्णोद्धार
1928 में मंदिर का जीर्णोद्धार अयोध्या प्रसाद शुक्ल ने करवाया। इससे पहले कई लोगों ने मंदिर बनवाने की कोशिश की, लेकिन दिन में बनाया गया मंदिर रात में गिर जाता था। अयोध्या प्रसाद शुक्ल के सपने में शिव भगवान आए और उन्होंने मंदिर निर्माण कराने का आदेश दिया। जब उन्होंने मंदिर निर्माण शुरू किया, तो उनके परिवार के सदस्यों की मृत्यु हो गई, लेकिन उन्होंने निर्माण जारी रखा और अंत में खुद भी देहांत हो गए।
 
अंग्रेजों का भागना
ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजों ने मंदिर के आस-पास के क्षेत्रों को कब्जा करने का प्रयास किया, लेकिन जैसे ही वे मंदिर परिसर के पास पहुंचे, दैवीय प्रकोप हुआ और कुछ लोग वहीं मर गए, जिसे देखकर बाकी लोग भाग गए1।
 

ये कथाएं इस मंदिर को और भी अधिक रहस्यमयी और आस्था का केंद्र बनाती हैं।

 
बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर में प्रमुख उत्सवों में से एक है कांवरिया मेला और शिवरात्रि का मेला, जो बहुत ही भव्य और धार्मिक महत्व का होता है। इस दौरान लाखों की संख्या में शिव भक्त सरयू अयोध्या से जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं और यह मेला 8 दिनों तक चलता है। इस मेले में काष्ठकला, मिट्टी और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं बिकने आती हैं, और चरखी, नाटक, नौटंकी, लोकगीत, प्रवचन के वृहद आयोजन होते हैं।
 
इसके अलावा, सावन माह में भी यहाँ बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और यह समय भी उत्सव के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। ये उत्सव न केवल धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को भी दर्शाते हैं।
 

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